Dear
Readers,
हर इंसान अपनेँ अंदर के
Talent
के बलबुते पर अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहता
है और ये कितना सच है इसका अनुमान आप सब लगा सकते हैँ,
क्योँकि आप सबमेँ Talent
कुट-कुटकर
भरी हूई है और इतना तो यकीन के साथ कहूँगा कि आप अपनेँ Talent को जंग लगने
नहीँ दे रहे होँगे।
Friends
आपके इसी Talent के बदौलत ही आप अपनेँ Sector मेँ
उन्नति करना चाहते हैँ और अपनेँ Interest
के Field मेँ ही आगे बढ़ना चाहते हैँ।
लेकिन आपके सपनोँ को
हकीकत मेँ Convert होनेँ से रोकनेँ के लिये सफलता का सबसे बड़ा
दुश्मन आपके रास्ते मेँ हथियार लिये खड़ा रहता है और वह दुश्मन इसी के इंतजार मेँ
रहता है कि कब आप असफल होँ और कब आपके सपनेँ टुटे। उस दुश्मन को आप सब जानते हैँ
उसका नाम है 'मन का भटकाव'
दोस्तोँ आपका मन ही
आपका सबसे अच्छा मित्र है पर आपके मन का भटकाव ही आपकी सफलता का सबसे बड़ा शत्रु
है।
Simple
words मेँ कहूँ तो आत्मनियंत्रण
ही वो शक्ति है जिससे आप Success
के सबसे बड़े दुश्मन से जीत हासिल
कर सकते हैँ।
आत्मनियंत्रण Means अपनेँ आप कंट्रोल और अपनेँ आप पर Control मतलब अपनेँ मन पर कंट्रोल और मन पर Control मतलब अपनी आत्मा पर कंट्रोल। और जब आप अपनेँ आत्मा, अपनेँ मन पर नियंत्रण कर लेँगे उस दिन Success का ये दुश्मन आपके सामनेँ अपना सिर झुकाये आपके सपनोँ
को साकार होते हुए देख रहा होगा।
आत्मनियंत्रण के
लिये जरूरी है मन पर नियंत्रण-
Friends
मन की फ्रीक्वेन्सी को नापना
कितना मुश्किल है ये तो आप सब जानते ही हैँ। आपके मन की कल्पना ही आपकी सोँच है।
मन का नियंत्रण
क्योँ आवश्यक है इसको समझनेँ से पहले आइये इन Examples को
थोड़ा देखते हैँ।
** आप एक होटल पर गये,
वहाँ आपने वेटर से कहा कि एक प्लेट समोसा लेकर आना। वेटर जैसे ही
समोसा लेकर आ ही रहा होता है आपका मन समोसा को छोड़कर रसगुल्ला खानेँ को कहता है।
और आप समोसा का Order cancel करवाकर रसगुल्ले आर्डर करवाते
हैँ। जैसे ही वेटर रसगुल्ले लेनेँ गया आपकी नजर बगल की सीट पर बैठे एक प्लेट पर
पड़ी जिसमेँ कचौड़ी रखी हूई थी। अब आपका मन रसगुल्ले को छोड़कर कचौड़ियाँ खाना चाहता
है और आपनेँ वेटर से पिछले Order को भी अब Cancel करवा दिया तो जाहिर सी बात है कि आप जो खाना चाहते हैँ वो वेटर आप तक नहीँ पहूँचा पायेगा क्योँकि आपका मन
Confuse है कि क्या खाया जाये।
** Second
example स्टुडेँट्स के साथ ऐसा बहूत
बार होता है कि वो प्लान तो बहूत बनाते हैँ कि मुझे इतनेँ Time से इतनेँ तक फलाना.. Subjects की
स्टडी करनी है.. वगैरा वगैरा..
लेकिन जैसे ही वो Chemistry का बुक निकालता है अब 15 Mint. भी
नहीँ हूये कि उसका मन अब Physics
को पढ़ना चाहता और अब वह
कैमिस्ट्री को छोड़कर Physics
पढ़ना स्टार्ट कर देता है। कुछ
देर बाद उसका एक दोस्त उसके पास आता है और कहता है क्या यार अभी तक Physics पढ़ रहे हो मैनेँ तो Maths के
सारे Structure पढ़ लिये और Solve भी कर
लिये। तो आखिरकार इसको सुनकर Physics
पढ़ रहे स्टुडेँट का मन बेचैन हो
जाता है और वह 15
Mint. ही फीजिक्स पढ़कर Maths का Book
पकड़ लेता है..
So
friends इन दोनोँ Examples से आप जान सकते हैँ कि Really मन को
Control मेँ रखना क्योँ आवश्यक है। आत्मनियंत्रण मन की
वो शक्ति है जिससे इंसान हर वो सुख हासिल कर सकता है जो वो करना चाहते है और यकीनन
इसमेँ कोई भी Doubt वाली बात नहीँ है।
So friends, first thing
तो आपको अपनेँ मन को वश मेँ रखनेँ के लिये निरंतर अभ्यास करना चाहिये क्योँकि मन को वश मेँ करना आपकी लाइफ का
सबसे बड़ा Exam
है और इसे आसानी
से वश मेँ नहीँ किया जा सकता इसके लिये आपको प्रयास करनी ही पड़ेगी। अपनेँ मन को हमेशा अपनेँ उद्देश्य की
ओर केँद्रित कीजिये जिसके बदौलत आप अपनेँ फील्ड मेँ सफल होना चाहते हैँ। आपका मन
उसी Sector
मेँ होना चाहिये जिस
क्षेत्र मेँ आप उन्नति की ओर अपना कदम बढ़ाना चाहते हैँ। अपनेँ लक्ष्य पर ही अपना
ध्यान और अपना मन केँद्रित कीजिये क्योँकि लक्ष्य को पानेँ के लिये लोग आपको कई
रास्ते बतायेँगे पर अपनेँ मन को सभी रास्तोँ पर लगानेँ के बजाये सिर्फ सही दिशा
मेँ ही लगाकर मेहनत कीजिये। यकीनन आप सफल होँगे।
पुरे World मेँ इंसान को ही इतनी Capacity दी
गयी है कि वो अपनेँ मन को Control
मेँ रख सकता है।
महाकवि गेटे नेँ कहा
भी है कि जिस व्यक्ति के अंदर आत्मनियंत्रण की शक्ति होती है सफलताएँ स्वयं ही आगे
बढ़कर उसके चरण चुमती हैँ।
Dear readers आत्मनियंत्रण के 4-5 भाग
और भी हैँ जो जल्दी ही प्रकाशित किये जायेँगे।
Topic By-
Mr. Kalesh Chauhan.
Korba (C.G.)
Email- kaleshchauhan000@gmail.com
Thanks to Mr. Kalesh Ji.. for Sharing this Very Interesting and
Special Topic with हमारी सफलता
Note -
आत्मनियंत्रण का अगला भाग जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा।